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पहाड़ी कविता " मित्राँ री गल्लाँ "

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                                               " मित्राँ री गल्लाँ "                       (बिलासपुरी बोली) मित्राँ री गल्लाँ मुकी गईयाँ, हुण पुराणे मित्र नी मिलदें, पैसा कमाणे रे चक्करा च, पुराणे मित्र व्यस्त होई गे, बचपना री गल्लाँ कने खेलाँ हुण मुकी गईयाँ, हुण मित्राँ जो मित्राँ ने मिलणे रा टाईम नी मिलदा, इकी जगह बैठी ने, चार गप्पा सुनने सुनाणे रा, हुण टाईम नी रहेया, हुण चलदे फिरदे मिलदे मित्र, हाथ मिलायी ने चली जाँदे, अपणे अपणे काम्म धंधे च, सारे मित्र व्यस्त होई गे, मित्राँ री गल्लाँ मुकी गईयाँ, हुण पुराणे मित्र नी मिलदें।                              पहाड़ी लेखक- सुनील शर्मा                                गाँव लद्दा तहस...

पहाड़ी कविता "चिट्ठा नशा"

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                            "चिट्ठा नशा"                          (बिलासपुरी बोली) चिट्ठा नशा खूब लगी रा बिकने, हिमाचले रे छोरू होई जाने बर्बाद, पुलिसे भी कमर कसी लेई, चिट्ठे रा कारोबारी पकड़ी लेने जरूर, चिट्ठे रा चस्का बडा खराब, पढ़ने रे नाम पर करदे नशा चिट्ठे रा, मता करदे नशा चिट्ठे रा, जान छुडानी हुई जानी बडी मुश्किल, चिट्ठा नशा खूब लगी रा बिकने, हिमाचले रे छोरू होई जाने बर्बाद।                   पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                          गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं                      जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

पहाड़ी कविता " पहले साही प्यार नी "

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                          " पहले साही प्यार नी "                                 (बिलासपुरी बोली)            "पहले साही प्यार नी" हुण पहले साही प्यार नी रहेया, पुराणे घरा साही घर नी रहे, भाईया साही प्यार नी रहेया, ब्याह होया कने भाई भाई लाग होई गये, हुण पहले साही प्यार नी रहेया, पक्केया घरा साही लोका रे दिल भी पक्के होई गये, गाँव रे लोक शहरा च रही ने शहरी होई गये, गाँव री यादाँ गाँव च रही गईयाँ, हुण पहले साही प्यार नी रहेया, पुराणे घरा साही घर नी रहे। पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                            गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं                         जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

पहाड़ी कविता "पहाड़ा रा जीणा"

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                            पहाड़ा रा जीणा                               (बिलासपुरी बोली) "पहाड़ा रा जीणा" पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब, छलियाँ री खाणी रोटी कने सरों रा खाणा साग, बरसाती रे मौसम च खूब खाणे पतरोड़े कने पल्ले, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा  लाजबाब, ब्याह रा नियुंद्रा देने पर बनाने बबरू फेरी सदने सारे रिश्तेदार, खेता करना काम,  बाणी छलियाँ कनक कने धान, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब। दियालियाँ रे त्योहारा रे दिन बननी ऐंकलियाँ कने पल्ले, लोहड़ी रे त्योहारा रे दिन बननी माह री दाली री खिचड़ी, प्यागा ऊठी ने पीना रोज चायी रा ग्लास, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब।                                    पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा           ...

पहाड़ी कविता "लोके जिताई मोदी सरकार"

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               "लोके जिताई मोदी सरकार"                          (बिलासपुरी बोली) लोके जिताई मोदी सरकार, पूरे देशा च खिलेया कमला रा फूल, हिमाचले रे लोके भी पाये बडे पारी वोट, मोदी रे नाम पर लोके जिताये चारो सांसद, लोके जिताई मोदी सरकार, सभी निभाया वोट पाई ने अपणा फर्ज, हुण हिमाचले रा भी होणा चाहिंदा विकास, मोदी सरकारा ते सभी जो आस, लोके जिताई मोदी सरकार,    हुण जनता पढ़ी लिखी कने जागरूक, काम करने वालेया जो पाये इस बारी वोट, हुण हिमाचले रा करो विकास, लोके जिताई मोदी सरकार।                    पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                           गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं                         जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

पहाड़ी कविता "हिमाचली टोपी"

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                              "हिमाचली टोपी"                              (बिलासपुरी बोली)   "हिमाचली टोपी" हिमाचली टोपी अहाँ री शान, दूरा ते लगदी हिमाचली होने री पहचान, हिमाचली टोपी रे सारे रंग बडे मशहूर, नेता हो या हो कलाकार सब जरूर पहन दे हिमाचली टोपी, पर्यटकों की भी पहली पसंद बनी गई री हिमाचली टोपी, अहाँ रे हिमाचले ते बाहर भी बडी मशहूर हिमाचली टोपी, देश विदेश च भी पूजी गई हिमाचली टोपी,  हिमाचले री शान अहाँ री अपनी हिमाचली टोपी।                                           पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                                           गाँव लद्दा तहसील घुमारव...

पहाड़ी कविता "मेरी माँ"

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                   "मेरी माँ" (बिलासपुरी बोली)                           माँ सभी री जिंदगी च खास होई, कने छोटी छोटी खुशियाँ लेई माँ दुआयें मंगा ई, हर माँ लेई अपणे बच्चे हुँदे बडे खास, माँ ही है से जे अहाँ जो,  इसा दुनियाँ च लेई ने आई री, माँ री करो कद्र कने वृद आश्रम ना भेजो,          माँ सभी री जिंदगी च खास होई, माँ रा प्यार ताँ नसीब वालेयो जो मिलदा, बच्चा हो जे उदास ताँ माँ ही हसाणा जाणदी, माँ रे बिना ऐ जिंदगी बडी अधूरी,          जिंदे जी करी लो माँ री कदर, माँ ताँ सभी रे घरा री रौणक हुँदी, माँ जो रखो हर पल खुश, माँ ही जो अपने बच्चेया लेई मँगदी हर दुआ,  माँ सभी री जिंदगी च खास होई।                                  पहाड़ी लेखक- सुनील शर्मा       ...