पहाड़ी कविता "नया जमाना" (बिलासपुरी बोली)

     "नया जमाना"

आजकल रा समय कितना बदली गया।
हर चीज आजकल आनलाइन होई गई।
रिश्ते भी आजकल आनलाइन होई गए।
इस आनलाइन रे जमाने बीच अहाँ रे पहाड़ी लोग अपनी पहाड़ी बोली जो भी भूलने लगी गए।

आजकल रा समय कितना बदली गया।
अहाँ रे गाँव भी बदली गए, कने गाँव रा रहन सहन भी बदली गया।
हर चीज आजकल आनलाइन होई गई।

अपने स्याणेयाँ री करो सेवा, जमाना नया हो या हो पुराना।

Comments

Popular posts from this blog

पहाड़ी कविता "चिट्ठा नशा"

पहाड़ी कविता "हिमाचली टोपी"