पहाड़ी कविता "बेटियाँ नी आ सुरक्षित"
"बेटियाँ नी आ सुरक्षित"
(बिलासपुरी बोली)
बेटियाँ नी आ सुरक्षित"
अहाँ री अपणी बेटियाँ नी आ अपने हिमाचले च सुरक्षित,
हर दिन आऊँदी नोई नोई खबर,
इना खबरा पढ़ी ने देखी सुनी ने हुँदा बडा पारी दुख,
सरकार भी लगदा बिकी गई री,
होरी अपराधा जो दोआ मरने,
पहले बेटियाँ जो ताँ बचाई लोआ,
अहाँ री अपणी बेटियाँ नी आ अपने हिमाचले च सुरक्षित,
रेप बलात्कार इसा नोईया बीमारीया रा करने पऊणा पक्का लाज,
नहीं ताँ ऐड़ियाँ खबरा आऊणी हर रोज,
मोदी सरकारा ने ईक अपील दोषी जो करो मौत रे हवाले,
ऐड़ा जेआ बनाओ कानून ताईं खत्म होणी ऐ बीमारी,
लोका कितनी कर करनी हड़ताल,
हुण ताँ जबाव दो सरकार,
अहाँ री अपणी बेटियाँ नी आ अपने हिमाचले च सुरक्षित।
पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा
गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं
जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
Comments
Post a Comment