पहाड़ी कविता "पुराणे दिन याद आई गे"
"पुराणे दिन याद आई गे" (बिलासपुरी बोली)
पुराणे दिन याद आई गे
इतवारे वाले दिन देखनी रंगोली कने शक्तिमान,
लूखने री खेला खेलनी कने रेडियो पर सुनने गाने।
पुराणे दिन याद आई गे
रोज पैदल स्कूला जाना कने मास्टरा ते खानी मार,
गर्मियां च खड्डा नहाना कने बनना बड्डे तैराक।
पुराणे दिन याद आई गे
इक था राजा कने इक थी रानी
दोनों मरी गे खत्म कहानी।
स्कूला जाना ताँ रपईये लेने दो,
कने इक रपईये री खानी टॉफियाँ चार,
पुराणे दिना री आई गी याद।
पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा
गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं
जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
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