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Showing posts from May, 2019

पहाड़ी कविता "पहाड़ा रा जीणा"

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                            पहाड़ा रा जीणा                               (बिलासपुरी बोली) "पहाड़ा रा जीणा" पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब, छलियाँ री खाणी रोटी कने सरों रा खाणा साग, बरसाती रे मौसम च खूब खाणे पतरोड़े कने पल्ले, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा  लाजबाब, ब्याह रा नियुंद्रा देने पर बनाने बबरू फेरी सदने सारे रिश्तेदार, खेता करना काम,  बाणी छलियाँ कनक कने धान, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब। दियालियाँ रे त्योहारा रे दिन बननी ऐंकलियाँ कने पल्ले, लोहड़ी रे त्योहारा रे दिन बननी माह री दाली री खिचड़ी, प्यागा ऊठी ने पीना रोज चायी रा ग्लास, पहाड़ा रा जीणा कने खाणा पीणा लाजबाब।                                    पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा           ...

पहाड़ी कविता "लोके जिताई मोदी सरकार"

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               "लोके जिताई मोदी सरकार"                          (बिलासपुरी बोली) लोके जिताई मोदी सरकार, पूरे देशा च खिलेया कमला रा फूल, हिमाचले रे लोके भी पाये बडे पारी वोट, मोदी रे नाम पर लोके जिताये चारो सांसद, लोके जिताई मोदी सरकार, सभी निभाया वोट पाई ने अपणा फर्ज, हुण हिमाचले रा भी होणा चाहिंदा विकास, मोदी सरकारा ते सभी जो आस, लोके जिताई मोदी सरकार,    हुण जनता पढ़ी लिखी कने जागरूक, काम करने वालेया जो पाये इस बारी वोट, हुण हिमाचले रा करो विकास, लोके जिताई मोदी सरकार।                    पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                           गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं                         जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

पहाड़ी कविता "हिमाचली टोपी"

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                              "हिमाचली टोपी"                              (बिलासपुरी बोली)   "हिमाचली टोपी" हिमाचली टोपी अहाँ री शान, दूरा ते लगदी हिमाचली होने री पहचान, हिमाचली टोपी रे सारे रंग बडे मशहूर, नेता हो या हो कलाकार सब जरूर पहन दे हिमाचली टोपी, पर्यटकों की भी पहली पसंद बनी गई री हिमाचली टोपी, अहाँ रे हिमाचले ते बाहर भी बडी मशहूर हिमाचली टोपी, देश विदेश च भी पूजी गई हिमाचली टोपी,  हिमाचले री शान अहाँ री अपनी हिमाचली टोपी।                                           पहाड़ी लेखक-सुनील शर्मा                                           गाँव लद्दा तहसील घुमारव...

पहाड़ी कविता "मेरी माँ"

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                   "मेरी माँ" (बिलासपुरी बोली)                           माँ सभी री जिंदगी च खास होई, कने छोटी छोटी खुशियाँ लेई माँ दुआयें मंगा ई, हर माँ लेई अपणे बच्चे हुँदे बडे खास, माँ ही है से जे अहाँ जो,  इसा दुनियाँ च लेई ने आई री, माँ री करो कद्र कने वृद आश्रम ना भेजो,          माँ सभी री जिंदगी च खास होई, माँ रा प्यार ताँ नसीब वालेयो जो मिलदा, बच्चा हो जे उदास ताँ माँ ही हसाणा जाणदी, माँ रे बिना ऐ जिंदगी बडी अधूरी,          जिंदे जी करी लो माँ री कदर, माँ ताँ सभी रे घरा री रौणक हुँदी, माँ जो रखो हर पल खुश, माँ ही जो अपने बच्चेया लेई मँगदी हर दुआ,  माँ सभी री जिंदगी च खास होई।                                  पहाड़ी लेखक- सुनील शर्मा       ...

पहाड़ी कविता "बेटियाँ नी आ सुरक्षित"

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                    "बेटियाँ नी आ सुरक्षित"                      (बिलासपुरी बोली)            बेटियाँ नी आ सुरक्षित"     अहाँ री अपणी बेटियाँ नी आ अपने हिमाचले च सुरक्षित,     हर दिन आऊँदी नोई नोई खबर,     इना खबरा पढ़ी ने देखी सुनी ने हुँदा बडा पारी दुख,     सरकार भी लगदा बिकी गई री,    अहाँ री बेटियाँ जो नी मिलदा इंसाफ,    होरी अपराधा जो दोआ मरने,    पहले बेटियाँ जो ताँ बचाई लोआ,    अहाँ री अपणी बेटियाँ नी आ अपने हिमाचले च सुरक्षित,    रेप बलात्कार इसा नोईया बीमारीया  रा करने पऊणा पक्का लाज,    नहीं ताँ ऐड़ियाँ खबरा आऊणी हर रोज,    मोदी सरकारा ने ईक अपील दोषी जो करो मौत रे हवाले,    ऐड़ा जेआ बनाओ कानून ताईं खत्म होणी ऐ बीमारी,         लोका कितनी कर करनी हड़ताल, ...

पहाड़ी कविता "पुराणे दिन याद आई गे"

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                    "पुराणे दिन याद आई गे"                                                (बिलासपुरी बोली)                                    पुराणे दिन याद आई गे इतवारे वाले दिन देखनी रंगोली कने शक्तिमान, लूखने री खेला खेलनी कने रेडियो पर सुनने गाने।       पुराणे दिन याद आई गे       रोज पैदल स्कूला जाना कने मास्टरा ते खानी मार,       गर्मियां च खड्डा नहाना कने बनना बड्डे तैराक। पुराणे दिन याद आई गे स्याणेयाँ ले बैठी ने सुननी कहानियाँ, इक था राजा कने इक थी रानी दोनों मरी गे खत्म कहानी। स्कूला जाना ताँ रपईये लेने दो, कने इक रपईये री खानी टॉफियाँ चार, पुराणे दिना री आई गी याद।               ...

पहाड़ी कविता "चुनावी मेला"

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                    "चुनावी मेला"                     (बिलासपुरी बोली) चुनावी मेला पँजा साला रा,  सोची समझी ने पाणा वोट,   तिस जे करने खरे काम,  तिस जीतणा बार बार,                 शराबा री बोतला पीछे देखया,                     गवाँदे अपणा वोट,  हुण लोक भी पढ़े लिखे,  झूठे वायदे पर नी करदे विश्वास,       सभी ने हँसी ने ग्लाँदे कने वोट भी  पाँदे मर्जिया रा, नेता लोक कुर्सिया बचाने रा करदे बडा पारी प्रयास, पँजा साला बाद जनता चुनदी अपणी मर्जिया री सरकार,                   चुनावी मेला पँजा साला रा,                      सोची समझी ने पाणा वोट।             ...

पहाड़ी कविता "क्या बोलदी गर्मी"

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                "क्या बोलदी गर्मी"       (बिलासपुरी बोली)                                         क्या बोलदी गर्मी,        बडा तेज तुपा आ,        फुकी गये गर्मियाँ ने, ठंडा ठंडा पानी पीणा नालुऐ रा, कुल्फी आईसक्रीमा खाने री लेणी बडी पारी नाँद,    तुपे च पैदल चलना ताँ छतरी रा  लेणा सहारा,     बिजली चली जाणे पर देने मणा मणा रे बोल,   ईक ते सौ तक गिनती बोलनी,   ईयाँ करना बिजली आऊने रा    इंतजार,        क्या बोलदी गर्मी,      बडा तेज तुपा आ,     फुकी गये गर्मियाँ ने।                 पहाड़ी लेखक- सुनील शर्मा गाँव लद्दा तहसील घुमारवीं जिला बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)     ...

पहाड़ी कविता "नया जमाना" (बिलासपुरी बोली)

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     "नया जमाना" आजकल रा समय कितना बदली गया। हर चीज आजकल आनलाइन होई गई। रिश्ते भी आजकल आनलाइन होई गए। इस आनलाइन रे जमाने बीच अहाँ रे पहाड़ी लोग अपनी पहाड़ी बोली जो भी भूलने लगी गए। आजकल रा समय कितना बदली गया। अहाँ रे गाँव भी बदली गए, कने गाँव रा रहन सहन भी बदली गया। हर चीज आजकल आनलाइन होई गई। अपने स्याणेयाँ री करो सेवा, जमाना नया हो या हो पुराना।